।हरे कृष्ण हरे राम।
साढ़े साती के उपाय
।ॐ गं गणेशाय नमः। ॐ सूर्याय नमः। ॐ विष्णु नमः। ॐ शिवाय नमः। ॐ दुर्गे नमः। ॐ श्री गुरुवे नमः।
साढ़े साती के समय पर श्रीशनि देव को प्रसन्न करें एवं कठिनाई से बचें।
श्री शनिदेव कर्मफल दाता हैं। वे कर्म अनुसार सभी को उचित फल प्रदान करतें हैं।
साढ़े साती का अर्थ है साढ़े सात, यानी साढ़े सात साल। किसी की कुंडली में शनिदेव जब जातक की चन्द्र राशि से बारहवा भाव की राशि पर प्रवेश कर जाए, तभी से जातक के जीवन में साढ़े साती का प्रारंभ माना जाता है। शनिदेव हर राशि में लगभग ढाई साल तक भ्रमण करते हैं। इस तरह शनिदेव तीन भाव यानी चंद्रराशि से बारहवा, पहला एवं दूसरे भाव से गुज़रते हैं।
जब शनिदेव चंद्र राशि वाले भाव पर आते हैं तब पांच साल पूर्ण होता है एवं दूसरे भाव एवं राशि का भ्रमण पूरा करने पर साढ़े सात साल सम्पूर्ण होता है।
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साढ़े साती का समय प्रधानतः कष्टदायक पाया गया है। अतः शनिदेव प्रसन्न करने के लिए उपाय करना उचित सिद्ध होता है। ईश्वर की कृपा से, साढ़ेसाती के प्रभाव को सकात्मक करने हेतु पूर्व से ही निम्न में दिए हुए कुछ नियमों का पालन करने से अनेक कष्ट एवं बाधाओं से मुक्ति मिलती है ऐसा मानना चाहिए।
मन्त्र उपाय:
- हनुमान चालीसा पाठ करें।
- महामृत्युंजय मंत्र जप करें।
- बजरंग बाण पाठ करें।
- शनि मंत्र का जप करें।
- प्रतिदिन संध्या काल में शनि चालीसा का पाठ करें।
सामर्थ्य अनुसार निष्ठा एवं भक्ति सहित कोई भी एक मंत्र, चालीसा का नित्य संध्याकाल में पाठ करें।
नित्य जीवन व्यवहारिक उपाय:
- छोटे कर्मचारी, सफाई कर्मचारियों से अच्छा व्यवहार रखें।
- दूसरे का कपड़ा पहनने से बचें।
- तामसिक भोजन, मांस, मदिरा इत्यादि का सेवन करने से बचें।
- प्रातः काल शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। शनिवार एवं जन्म वार अधिक महत्व रखता है।
- संध्याकाल में शिवालय में लोहे का दीपक में तिल तेल अथवा सरसों तेल का दिया जलाएं। दिया को घर लेकर न आएं। प्रति शनिवार करने पर शनिदेव प्रसन्न होंगे ऐसा मानना चाहिए।
- शनिवार के दिन काली उडद दाल मिलाकर खिचड़ी का भोग लगाएं। पूजा करके सभी सदस्य प्रसाद पाएं।
- शनिवार के दिन गोमाता को तिलगुड़ खिलाएं।
- सफाई कर्मचारी को रोटी, तिल, तिल के लड्डू, काली उडद दाल दान करें।
- घर की पश्चिम दिशा को स्वच्छ रखें।
kundly me vivah ka yog h ya nhi