श्री कृष्णा जन्माष्टमी 2021, शुभ मुहूर्त, नियम और विधि | Shri Krishna Janmashtami

श्री कृष्णा जन्माष्टमी

जन्माष्टमी उत्सव सर्वेश्वर भगवान श्रीविष्णु के अष्टम अवतार श्री कृष्ण की जन्म जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह शुभ जन्म उत्सव प्रति वर्ष सर्व भारतीय पञ्चाङ्ग अनुसार भाद्र मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि  होने पर मध्य रात्रि के समय यह पालन किया जाता है। 

श्री कृष्णा जन्माष्टमी 2021

श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र पर हुआ था, परंतु कई बार एक दिन में अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में भाद्र मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मानकर जन्माष्टमी का पालन किया जाता है।

यह उत्सव में लीलाधर भगवान श्री कृष्ण के मनमोहक बाल गोपाल रूप श्री लड्डू गोपाल की पूजा होगी। श्री कृष्ण की पूजा हर घर से लेकर मंदिरों में बड़े ही धूम धाम के साथ पालन की जायेगी। भक्त अपने भगवान के बालस्वरूप को खूब सजाकर, झूलन लगाकर छप्पन भोग निवेदन करेंगे। मथुरा, वृंदावन व्रज भूमि में यह उत्सव को अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। वैष्णव सम्प्रदाय एवं श्री कृष्ण मंदिर ISKCON में विश्व स्तर पर जन्माष्टमी का पालन धूम धाम से होगा।

जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?

सर्व भारतीय पञ्चाङ्ग अनुसार प्रति वर्ष भाद्र मास, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि होने पर श्रीकृष्णजन्माष्टमी अर्थात श्री कृष्ण के जन्म जयंती उत्सव का पालन किया जाता है। 

श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र में हुआ था परन्तु कई बार एक ही दिन में रोहिणी नक्षत्र एवं अष्टमी तिथि का योग नहीं बन पाता है। तब अष्टमी तिथि को ही प्रधानता दी जाती है।

जन्माष्टमी व्रत की पूजा दिन या रात में होती है?

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। इसलिए व्रत की पूजा अष्टमी उदित तिथि के पड़ने वाले वार में मध्य रात्रि को की जाती है।

2021 साल में जन्माष्टमी कब है?

जन्माष्टमी 30 अगस्त 2021, भारतीय भाद्र मास 

कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि, चन्द्र रोहिणी नक्षत्र पर तथा सोमवार को है।

जन्माष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त।

जन्माष्टमी व्रत का पालन अष्टमी तिथि पर मध्यरात्रि में होगा।

पञ्चाङ्ग अनुसार तिथि, नक्षत्र निर्देश:

अष्टमी तिथि प्रारम्भ:

दिनांक: 29 अगस्त 2021

सोमवार

समय:  11:27 pm

जन्माष्टमी व्रत समय

30 अगस्त 2021, सोमवार, 11:59 pm मध्य रात्रि से,

देर रात 02:00 am तक (दिनांक बदलकर कर 31अगस्त 2021 हो जायेगा)।

अष्टमी तिथि सम्पूर्ण

दिनांक: 31 अगस्त 2021

(30 अगस्त 2021 सोमवार की मध्य रात्रि)

समय:  02:01 am

चन्द्र रोहिणी नक्षत्र भ्रमण

आरंभ – 30 अगस्त 2021- 06:40 am
समाप्त- 31 अगस्त 2021- 09:45 am

व्रत का पारण

31 अगस्त 2021, 

मंगलवार 

09:46 am

यह साल 2021 की जन्माष्टमी विशेष एवं अत्यंत महत्वपूर्ण  है।

भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्र मास, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

इस साल भी यह अद्भुत योग बन रहा है। चंद्र वृषभ राशि में रहकर रोहिणी नक्षत्र पर स्थित रहेंगे। यह योग श्रेष्ठ एवं उत्तम है।

सर्वसाधारण विधि

30 अगस्त 2021, सोमवार

दिन के समय

  • ब्रह्मुहूर्त में सय्या त्याग कर नित्य कार्य तथा स्नान आदि से निवृत होकर के शुद्ध वस्त्र धारण करना है।
  • सूर्योदय होने पर गृह मंदिर के कपाट को खोले।
  • भगवान के लिए पंच उपचार पूजा का आयोजन करें। गंगाजल, सुगंध, सफेद पुष्प, तुलसी पत्र, धूप, घी के दीप, मिष्ठान्न, पानीय जल का आयोजन करें।
  • गंगा जल से भगवान का अभिषेक करें।
  • सुगंध, तुलसी पत्र, सफेद पुष्प, धूप, दिप, मिष्ठान्न, पानीय जल निवेदन करें।
  • सभी मिष्ठान्न तथा भोग पर तुलसी पत्र डालें।
  • भगवान की आरती करें, हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। यह महा मन्त्र का जप भी 108 बार करें।

30 अगस्त 2021, सोमवार

कृष्ण जन्म समय अर्थात मध्य रात्रि के समय

  • श्रीगणपति सहित पञ्चदेव की पूजा करें।
  • लड्डू गोपाल अर्थात बालगोपाल रूपी कृष्ण के लिए पंच उपचार अथवा सोड़स उपचार पूजा अथवा सामर्थ्य अनुसार  पूजा का आयोजन करें। गंगाजल, सुगंध, सफेद पुष्प, तुलसी पत्र, धूप, घी के दीप, मिष्ठान्न, पानीय जल का आयोजन करें।
  • लड्डूगोपाल को झूला अथवा सिंघासन पर स्थापित करें।
  • गंगा जल से भगवान का अभिषेक करें।
  • सुगंध, तुलसी पत्र, सफेद पुष्प, धूप, दिप, मिष्ठान्न, मक्खन, मिश्री, पानीय जल निवेदन करें।
  • सभी मिष्ठान्न तथा भोग पर तुलसी पत्र डालें।
  • लड्डू गोपाल को अपने संतान की तरह ममता एवं दुलार से मक्खन, खीर, मिष्ठान्न निवेदन करें।
  • माता यशोधा, माता देवकी, श्री नंद, श्री वासुदेव को स्मरण कर उन्हें गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवैद्य निवेदन करें।
  • भगवान की आरती करें, “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।” यह महा मन्त्र का जप भी 108 बार करें।
  • श्रीराधा का नाम गान करें।

विशेष:

  • तुलसी पत्र का होना अनिवार्य है।
  • श्रीविष्णु नाम, श्रीकृष्ण नाम का पाठ करें।
  • “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।” महामंत्र का 108 बार पाठ करें।
  • भगवान का कीर्तन गान करें।
  • उपवास करने पर दूध, फल का सेवन करें। 
  • अगले दिन प्रातः काल में व्रत का पारण करते समय लड्डू गोपाल की पूजा करें। उन्हें खीर मक्खन का भोग निवेदन करें। प्रसाद का सेवन करें एवं व्रत सम्पूर्ण करें।
  • संतान प्राप्ति, संतान सुख, धर्म अर्थ काम मोक्ष के लिए भगवान से प्रार्थना करें।
  • तामसिक भोजन का आहार वर्जित है।
  • सटीक समय हेतु स्थानीय पञ्चाङ्ग अथवा स्थानीय मंदिर के पुरोहित से सम्पर्क करें। 

जन्माष्टमी व्रत से पुण्य

भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं ‘ एक जन्माष्टमी व्रत का पालन करने से कई जन्मों का पुण्य प्राप्त होता है’।

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