🌼 शरद पूर्णिमा व्रत
आश्विन मास शरद ऋतु की पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा तथा शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह विशेष रात में चंद्र पूर्ण कलाओं में दिखाई पड़ते हैं। उनका रूप एवं आभा अपरूप मनमोहक हो जाता है एवं वे अपनी शीतल किरणों से माध्यम से प्राण संचार करने वाली अमृत सुधा की वर्षा करते हैं।
मान्यता अनुसार समुद्र मंथन के समय पर श्रीलक्ष्मी यह तिथि पर पुनः प्रकट हुई थी तथा श्रीविष्णु से पुनः मिलन हुआ। भगवान धन्वंतरि भी प्रकट हुए। प्रति वर्ष की यह अश्विन पूर्णिमा यश वर्धक, आयुवर्धक होकर परम महत्वपूर्ण है।
जानें ‘कोजागरी’ का अर्थ
कोजागरी का अर्थ है ‘कौन जाग रहा है‘। मान्यता है कि श्रीलक्ष्मी यह पूर्णिमा तिथि की रात्रि में विहार करती हैं तथा अपने भक्तों पर कृपा करने हेतु स्वयं उनके गृह में प्रवेश करते हैं। यह रात्रि को भक्त जन जागरण करते हैं एवं हरि नाम कीर्तन करते हैं जिससे माता लक्ष्मी भक्तों के घर हरि नाम सुनकर प्रवेश करती हैं तथा मनोवांछित वरदान एवं इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।
कोजागरी पूर्णिमा की पारंपरिक प्रथा
‘कोजागरी’ का अन्य अर्थ है ‘नारियल जल में चिपिटोक (चिवड़ा / पोहा)‘ डालकर श्रीलक्ष्मी को निवेदन करना। यह प्रथा भारत के पूर्वीय प्रान्त जैसे कि पश्चिम बंगाल, ओड़ीसा, बिहार, झारखंड, असम के अंचलों में पारंपरिक रूप से पूजा पद्धति के द्वारा की जाती है।
भारत के उत्तर तथा अन्य प्रांतों में श्रीलक्ष्मी की आराधना करते हुए चांदी की थाली अथवा पीतल, कांस की थाली में शीतल दूध में चीनी अथवा शहद एवं चूड़ा मिलाकर चन्द्र की किरणों में रख दिया जाता है, जिससे चंद्रदेव द्वारा बरसाई हुई अमृत धारा उसमें समाहित होती है। वह अमृत समान द्रव्य का सेवन करने पर आयु, आरोग्य, समृद्धि की प्राप्ति होती है।
धन के देव देवराज इंद्र एवं धन के रक्षक कुबेरदेव की आराधना
यह विशेष तिथि पर इंद्रदेव एवं कुबेर देव की पूजा आराधना होगी। श्रीलक्ष्मी की कृपा से स्वयं इंद्रदेव एवं कुबेरदेव भक्तों पर धन एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
श्रीलक्ष्मी के वाहन श्रीपेचक की पूजा होगी। श्रीपेचक धन के सूचक माने जाते हैं।
धन के रोजगार, समृद्धि तथा संरक्षण को सदा बनाएं रखने हेतु यह पूर्णिमा की पूजा सर्वोत्तम है।
श्रीकृष्ण लीला
यह पूर्णिमा तिथि को श्रीकृष्ण श्रीराधिका के संग रास रचते थे। यह कारण शरद पूर्णिमा पर व्रजभूमि एवं श्रीकृष्ण मंदिरों में विशेष पर्व मनाया जाता है।
🌼पूर्णिमा तिथि समय🌼
🕉️ पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ समय
19.10.2021, मंगलवार
संध्या 07:05 pm
व्रत- कोजागरी पूर्णिमा (पूजा एवं जागरण)
🕉️पूर्णिमा तिथि समाप्त समय
20.10.2021, बुधवार
संध्या 08:28 pm
व्रत- शरद पूर्णिमा
विशेष: तिथि मुम्बई मानक समय अनुसार
विशेष एवं फलश्रुति
- पूर्णिमा व्रत की पूजा 19.10.2021, समय 07:05 pm से 20.10.2021, समय 08.28 pm तक सम्पूर्ण की जा सकती है।
- पूर्णिमा की पूजा संध्या काल में करना सर्वश्रेष्ठ है। अन्य समय भी उत्तम है।
- कोजागरी पूर्णिमा के फल को प्राप्त करने हेतु भक्तों को रात्रि जागरण का पालन करना चाहिए।
- श्री लक्ष्मी के लिए रात्री में अखंड दिया का आयोजन करना उचित हैं यह मानना चाहिए।
- गृह में श्रीवृद्धि हेतु, दारिद्र योग खंडन हेतु यह पूर्णिमा व्रत विशेष फलदायिनी है ऐसा मानना चाहिए।
- श्रीविष्णु, श्रीलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ सर्वोत्तम है।
सर्वसाधारण पूजा विधि
- व्रत पर्व पर ब्रह्मुहूर्त अथवा उषाकाल में सय्या त्याग कर नित्य कार्य तथा स्नान आदि से निवृत होकर के शुद्ध वस्त्र धारण करना है।
- सूर्योदय होने पर गृह मंदिर के कपाट को खोले।
- श्रीगणेश की पूजा, शिवादी पंचदेवताओं को आह्वान, दस विद्या, दस दिक्पाल, नव ग्रह, सर्व देव-देवी नमन, तथा गुरु स्मरण करें।
- सामर्थ्य अनुसार भगवान श्रीविष्णु, श्रीलक्ष्मी के लिए पंच उपचार, षोडस उपचार आदि पूजा का आयोजन करें। गंगाजल, सुगंध, सफेद पुष्प, तुलसी पत्र, धूप, घी के दीप, मिष्ठान्न, पानीय जल का आयोजन करें।
- गंगा जल से देव,देवी का अभिषेक करें।
- श्री नारायण को सुगंध, तुलसी पत्र, सफेद पुष्प, धूप, दिप, मिष्ठान्न, पानीय जल निवेदन करें।
- श्रीलक्ष्मी की पूजा में तुलसी पत्र का निवेदन न करें।
- सभी मिष्ठान्न तथा भोग भक्ति भाव से निवेदन करें ।
- माता लक्ष्मी की पूजा, आरती करें। घण्टी न बजाएं।
- भगवान की आरती करें, “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।” यह महा मन्त्र का जप भी 108 बार करें।
- विष्णुस्त्रोत्र, सोड़षनाम, श्रीलक्ष्मी स्त्रोत्र आदि पाठ करें।
विशेष: 🌷सामर्थ्य अनुसार उपवास रखें अथवा फलाहार, सात्विक आहार करें।
🌷शास्त्र के विधि अनुसार उपवास में औषधि का सेवन किया जा सकता है। इसलिए रोग प्रतिरोध औषधि लेने में कोई अप्पति नहीं है।
🌷तामसिक भोजन का आहार न करें।