लग्न, मानसिक, सकारात्मक बल वृद्धि हेतु तिथियों पर इन द्रव्यों का सेवन करने से बचें।
हम जानते हैं कि चन्द्रदेव के भ्रमण अनुसार प्रतिदिन तिथियाँ बदल जाती है। मुख्य रूप से तिथयों पर चन्द्रदेव का आधिपत्य है। प्रत्येक तिथि पर विभिन्न देव एवं देवियों का भी आधिपत्य है। प्राचीन समय से ऋषियों ने इन सभी का वर्णन सूक्ष्म से सूक्ष्म रूप में शास्त्रों में वर्णन किया है। इन सभी नियमों का पालन निष्ठा से करने पर मनुष्यों के शरीर ईश्वर चिंता के लिए उपयुक्त बन जाता है। ईश्वर तत्व को प्राप्त करने हेतु शास्त्रों में ऋषियों द्वारा विभिन्न प्रकार के आचार एवं नियम का वर्णन किया गया है। इन सभी में एक विशेष है तिथि अनुसार उचित भोज्य द्रव्यों का सेवन करना।
यह पालन से हमारे शरीर, मन, बुद्धि, आत्मा को सात्विक पुष्टि प्राप्त होती है जिससे ईश्वर तत्व ज्ञान को लाभ करना सभी के लिए सरल हो जाता है।
प्रतिपदा पर निषेध भोजन
प्रतिपदा तिथि में कुष्मांड का सेवन पर निषेध है। अर्थ हानि, धन का नाश होता है।
द्वितिया पर निषेध भोजन
द्वितिया तिथि पर वृहती अर्थात छोटे बैगन के सेवन पर निषेध है। यह तिथि पर हरिनाम पर अधिकार नहीं रहता।
तृतिया पर निषेध भोजन
तृतिया तिथि पर पटल (परवल) सेवन पर निषेध है। यह शत्रुवृद्धि का कारण बनता है।
चतुर्थी पर निषेध भोजन
चतुर्थी तिथि पर मूली का सेवन पर निषेध है। यह धन नाश का कारण बनता है।
पंचमी पर निषेध भोजन
पंचमी तिथि पर बेल (बिल्वफल) के सेवन पर निषेध है। यह कलंक का कारण बनता है।
षष्ठी पर निषेध भोजन
षष्ठी तिथि पर नीम पत्ता जा सेवन पर निषेध है। यह जन्म मृत्यु के चक्र में तिर्यकयोनि की प्राप्ति का कारण बनता है।
सप्तमी पर निषेध भोजन
सप्तमी तिथि पर ताल (ताड) का सेवन पर निषेध है। यह शरीर नाश का कारण बनता है।
अष्टमी पर निषेध भोजन
अष्टमी तिथि पर श्रीफल अर्थात नारियल का सेवन पर निषेध है। यह मूर्खता का कारण बनता है।
नवमी पर निषेध भोजन
नवमी तिथि पर लौकी के सेवन पर निषेध है। यह गोमांस सेवन पाप के समान है।
दशमी पर निषेध भोजन
दशमी तिथि पर कलम्बी शाक के सेवन पर निषेध है। दशमी तिथि पर इसके सेवन से गोहत्या समतुल्य पाप का भागीदार बनना पड़ता है।
एकादशी पर निषेध भोजन
एकादशी तिथि पर शिम्बी के सेवन पर निषेध है। यह पाप सृष्टि का कारण बनता है।
द्वादशी पर निषेध भोजन
द्वादशी तिथि पर पुतिका शाक के सेवन पर निषेध है। यह ब्रह्महत्या समतुल्य पाप देता है।
त्रयोदशी पर निषेध भोजन
त्रयोदशी तिथि पर वर्ताकु (बैगन) के सेवन पर निषेध है। यह पुत्रहानी का कारक बनता है।
चतुर्दशी पर निषेध भोजन
चतुर्दशी तिथि पर माष कलाई (बरबटी बीज इत्यादि) के सेवन पर निषेध है। यह आजीवन रोग आदि का कारक बनता है।
पूर्णिमा, अमावश्या पर निषेध भोजन
पूर्णिमा एवं अमावश्या की तिथियों पर माँस, मछली के सेवन पर निषेध है। यह महापाप का कारक बनता है।
रविवार पर निषेध भोजन
रविवार पर सूर्यदेव का अधिपत्य है एवं यह प्रथम वार है। यह दिन पर मसूर दाल के सेवन पर निषेध है। इसके सेवन से कुंडली में सूर्यग्रह पीड़ित होता है जिससे सूर्य संबंधित क्लेश की पीड़ा सहन करनी पड़ती है।