श्री गणेशाय नमः। श्रीगायत्री नमः। श्री गुरुवे नमः।
जगतजननी माता दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि महात्म्य ।
अश्विन शुक्लपक्ष सप्तमी तिथि के दिन माता के सप्तम रूप श्रीकालरात्रि की आराधना होती है। ये श्रीमाता का प्रचंड रूप है तथा काली रूप है। देवी दुर्गा के दो रूपों में एक रूप सौम्य होकर महासगुण सुंदरी कहलाती है तो दूसरे रूप में महानिर्गुण होकर काली कहलाती है।
दुर्गा की शक्ति ऊर्जा से समस्त ब्रह्मांड की रचना की गई है। यहाँ शिव पुरूष हैं एवं दुर्गा प्रकृति हैं। माता दुर्गा दुर्गति नाशिनी है एवं जगतधात्री भी हैं। शास्त्र में नवरात्रि के माध्यम से नव दिन एवं रात्रि माता दुर्गा की पूजा व उपासना का विधि विधान बताया गया है। देवी दुर्गा हर दुखों का नाश करके भक्तों को वरदान प्रदान करने वाली देवी है। नवरात्रि में उनकी पूजा श्रद्धा, भक्ति एवं आस्था से की जाती है। देवी के नव रूप नव प्रकार की सकारात्मक शक्तियाँ प्रदान करता हैं। निष्ठा सहित उनकी आराधना करने से हर एक प्राणियों का उद्धार हो जाता है।
नवरात्रि के प्रकार
प्रति वर्ष में चार नवरात्रि का पालन किया जाता है। इन चारों में दो गुप्त नवरात्रि हैं जो प्रधानतः साधक सम्प्रदाय के लोगों में प्रचलित है एवं दो नवरात्रि मुख्यत सभी लोग पालन करते हैं।
चैत्र नव रात्रि
पहली नवरात्रि चैत्र प्रतिपदा से शुभारंभ होकर रामनवमी में पूर्ण होकर दशमी में समापन होती है।
शरद नव रात्रि
शरद ऋतु आश्विन मास शुक्लपक्ष में द्वितीय नवरात्र का पालन किया जाता है। नौ दिन में माता के नव रूप की आराधना पूर्ण कर शुक्ल विजया दशमी को समापन किया जाता है।
माता का सप्तम रूप है श्री कालरात्रि।
नवरात्रि के सप्तम दिवस पर श्रीकालरात्रि माता की आराधना की जाती है।
माता दुर्गा का यह प्रचंड रूप हैं। यह रूप में इनका वर्ण घनी काली रात की तरह है। माता के केश आकाश में काले बादलों की तरह बिखरें हुए है। वे त्रिनयना हैं तथा चतुर्भुजा हैं। माता के हातों में खड़ग, अभय मुद्रा, वज्र तथा अभय दान मुद्रा है। माता के गले में बिजली की माला है तथा अग्नि उनकी साँसे हैं। यह रूप में माता का वाहन गर्धव है।
यह रूप नें माता ने असुरों का वध किया। इसलिए माता की यह रूप की आराधना करने पर नकारत्मक शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। विभिन्न प्रकार की बाधाओं से छुटकारा मिलता है तथा पराक्रम, साहस में विकास होता है। माता की आराधना से सिद्धियों की प्राप्ति सुलभ हो जाती है।
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मंत्र
एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।
सर्वकार्य सिद्धि हेतु नवरूप स्तोत्र
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति च अष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।
फलश्रुति
माता दुर्गा की आराधना से श्रद्धालु एवं भक्तों के सारे कष्टों का निवारण अनायास ही हो जाता है यह मानना चाहिए। जगतजननी माता अपने संतानों के लिए सदा तत्पर हैं, हमें केवल उनको सच्ची भावना से पुकारना है।
जय माँ दुर्गा। ॐ नमः शिवाय। हरे कृष्ण हरे राम।
शारदीय दुर्गापूजा एवं नौ रात्रि 2021, जाने तिथि एवं समय।
माता के और रूपों को जाने
माता शैलपुत्री
माता ब्रह्मचारिणी
माता चंद्रघंटा
माता कुष्मांड
स्कंदमाता
माता कात्यानी