श्रीगणेशाय नमः। श्रीलक्ष्मी नमः। श्री गायत्री नमः। श्री तारा नमः। श्रीगुरुवे नमः। हरे कृष्ण हरे राम।
।ॐ विष्णु। ॐ विष्णु । ॐ विष्णु।
देवउत्थनी एकादशी
कार्तिक मास के शुक्लपक्ष पर दीपावली के बाद पड़ने वाली एकादशी तिथि प्रबोधिनी एकादशी एवं देवउठनी एकादशी के नाम से जानी जाती है।
देवउत्थनी एकादशी महात्म्य
यह एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सर्वेश्वर भगवान विष्णु आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष को देवशयनी एकादशी से चार महीने तक योगनिद्रा में रहते हैं। चार महीने के पश्चात देवउठनी एकादशी तिथि पर योग निद्रा से जागृत होते हैं। इस तरह से शास्त्र में यह चार मास को चातुर्मास के नाम से उल्लेख किया गया है। एकादशी तिथि श्रीविष्णु एवं श्रीलक्ष्मी को अत्यन्त प्रिय है। इस तरह से यह एकादशी तिथि पूर्णतः पुण्य फलदायिनी है।
चातुर्मास पालन
देवशयनी एकादशी की तिथि से चातुर्मास का प्रारंभ होकर देवउठनी एकादशी तिथि पर सम्पूर्ण होता है। यह चार मास में मानव संसार से जुड़े कोई भी शुभ कार्य जैसे, विवाह, उपनयन इत्यादि वर्जित है। चारों आश्रम के लोग नियम, संयम का पालन निष्ठा से करते हैं। सन्यासियों का नियम तप के समान है जो देवउठनी एकादशी पर सम्पूर्ण होता है। देवउठनी एकादशी तिथि से पुनः मनुष्यों से जुड़े सामाजिक शुभ कार्यों का आरंभ होता है।
एकादशी पर श्रीलक्ष्मी की विशेष कृपा
एकादशी तिथियीं पर माता लक्ष्मी की कृपा सदैव है। भगवान विष्णु को जो प्रिय हैं, माता श्रीलक्ष्मी को अत्यन्त प्रिय है। इस तरह से एकादशी तिथि का पालन निष्ठा, भक्ति संग करने पर श्रीविष्णुलक्ष्मी का वरदान प्राप्त होता है ऐसा मानना चाहिए। एकादशी पालन करने से गृहस्त संसार में स्वामी एवं स्त्री से जुड़े सुख दायक फल प्राप्त होते है तथा सम्पद समृद्धि, शुभ, लाभ का सर्वदा निवास होता है यह निश्चित है।
एकादशी के मुहूर्त
(अमवस्यान्त कर्तक पञ्चाङ्ग अनुसार, स्थान मुम्बई)
तिथि प्रारम्भ | तिथि समाप्त |
---|---|
14 नवंबर 2021, | 15 नवंबर 2021, |
रविवार, 05:50 am | सोमवार, 06:41 am |
एकादशी व्रत पालन दिनांक
15 नवंबर 2021, सोमवार
प्रबोधिनी भागवत एकादशी
देवउत्थनी एकादशी
व्रत का पारण
16 नवंबर 2021
मंगलवार, सूर्योदय से 8:04 am तक।
(विशेष:द्वादशी तिथि रहते पारण करना उचित है।)
★(मानक समय मुंबई अनुसार। सूक्ष्म समय के लिए स्थानीय पञ्चाङ्ग का सहारा लें।)
एकादशी का पालन समाधान
भारत देश के जिन प्रान्तों में लगभग सुबह 06:30 am से पहले सूर्य उगता है वहाँ एकादशी की समय अवधि बढ़ जायेगी। साथ में द्वादशी वृद्धि तिथि है। पारण के लिए द्वादशी तिथि का पालन करना आवश्यक है।
स्मार्त तथा भागवत नियम अनुसार 14 नवंबर को प्रबोधिनी स्मार्त एकादशी है।
15 नवंबर, सोमवार को भागवत एकादशी है।
इस तरह से केवल 15 नवंबर, सोमवार को एकादशी का पालन करें।
विशेष: व्रत के दिन एवं रात में अन्न अनाज भोजन त्याग करें। सामर्थ्य अनुसार निर्जल, केवल जल, अथवा फल, गौ दुग्ध, मिष्ठान्न का आहार करें।
(औषध का सेवन किया जा सकता है।)
विशेष:
- भगवान विष्णु की पूजा करें। माता लक्ष्मी की पूजा करें।
- भगवान को दूध की खीर, अन्न भोग, फल, मिष्ठान्न का भोग निवेदन करें।
- भगवान के प्रसाद का सेवन कर व्रत को पूर्ण करें। (अनाज भोजन का सेवन करें।)
सर्वसाधारण विधि
- ब्रह्मुहूर्त में सय्या त्याग कर नित्य कार्य तथा स्नान आदि से निवृत होकर के शुद्ध वस्त्र धारण करना है।
- सूर्योदय होने पर गृह मंदिर के कपाट को खोले।
- भगवान के लिए पंच उपचार पूजा का आयोजन करें। गंगाजल, सुगंध, सफेद पुष्प, तुलसी पत्र, धूप, घी के दीप, मिष्ठान्न, पानीय जल का आयोजन करें।
- गंगा जल से भगवान का अभिषेक करें।
- सुगंध, तुलसी पत्र, सफेद पुष्प, धूप, दिप, मिष्ठान्न, पानीय जल निवेदन करें।
- सभी मिष्ठान्न तथा भोग पर तुलसी पत्र डालें।
- माता लक्ष्मी की पूजा करें।
- भगवान की आरती करें, हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। यह महा मन्त्र का जप भी 108 बार करें।
विशेष:
- तुलसी पत्र का होना अनिवार्य है।
- श्रीलक्ष्मी को तुलसी पत्र निवेदन न करें।
- श्रीविष्णु नाम, श्रीकृष्ण नाम का पाठ करें।
- । हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । महामंत्र का 108 बार पाठ करें।
- भगवान का कीर्तन गान करें।
- एकादशी में चावल, गेहू इत्यादि अनाज भोजन वर्ज्य है।
- प्याज़, लहसुन, मांस, मदिरा इत्यादि का सेवन वर्जित है।
- अन्य तामसिक भोजन का आहार वर्जित है।
- स्थान विशेष के अनुसार तथा सूर्योदय -सूर्यास्त के अनुसार सूक्ष्म समय हेतु स्थानीय पञ्चाङ्ग अथवा स्थानीय मंदिर के पुरोहित से सम्पर्क करें।