बृहस्पति मन्त्र।Brihaspati Mantra

।।बृहस्पति मन्त्र।।

 

।।वैदिक मन्त्र।।

 

ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।

यद्दीदयच्छवस ऋतुप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।

 

।।पौराणिक मन्त्र।।

 

देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसंनिभम्।

बुद्धिभूतं त्रिलोकशं तं नमामि बहस्पतिम्।।

 

।।बीज मन्त्र।।

 

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नमः।

 

।।सामान्य मन्त्र।।

 

ॐ बृं बृहस्पतये नमः।



।।बृहस्पति गायत्री।।

 

आंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात्।।



।। पूजा मन्त्र।।

 

ॐ ऐँ क्लीँ बृहस्पतये नमः।

 

।।सरल मन्त्र।।

 

 श्री बृहस्पतिदेव नमः।




 ।।जप संख्या एवं समय।।

 

जप संख्या – 19000

जप समय – संध्या काल

 

।।बृहस्पति स्तुति।।

 

जयति जयति जय श्री गुरू देवा। 

करौं सदा तुम्हारो प्रभु सेवा।।

देवाचार्य देव गुरू ज्ञानी। 

इन्द्र पुरोहित विद्या दानी।।

वाचस्पति वागीश उदारा।

जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा।।

विद्या सिन्धु अंगिरा नामा। 

करहु सकल विधि पूरण कामा।।

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बृहस्पति जप संख्या कितना होता है?

19000

बृहस्पति मन्त्र जप कौनसा समय पर करना चाहिए?

संध्या काल

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