श्री कृष्ण आरती | Shri Krishna Aarti: आरती कुंजबिहारी की, गिरिधर कृष्ण मुरारी की
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सूर्य चालीसा ॥दोहा॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग, पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥ ॥चौपाई॥ जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!, सविता हंस! सुनूर विभाकर॥ 1॥ विवस्वान! आदित्य! विकर्तन, मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥ अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 2॥ सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि, मुनिगन होत
।।श्री वीरभद्र चालीसा।। ।।दोहा।। वन्दो वीरभद्र शरणों शीश नवाओ भ्रात । ऊठकर ब्रह्ममुहुर्त शुभ कर लो प्रभात ॥ ज्ञानहीन तनु जान के भजहौंह शिव कुमार। ज्ञान ध्यान देही मोही देहु भक्ति सुकुमार। ।।चौपाई।। जय-जय शिव नन्दन जय जगवन्दन। जय-जय शिव पार्वती नन्दन ॥ जय पार्वती प्राण दुलारे। जय-जय भक्तन के दु:ख टारे॥ कमल सदृश्य नयन
श्री सरस्वती चालीसा ॥ दोहा॥ जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि। बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥ पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु। दुष्टजनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥ जय श्री सकल बुद्धि बलरासी। जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥ जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥ रूप
।।श्री कृष्ण चालीसा।। ।।दोहा।। बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम। अरुणअधरजनु बिम्बफल, नयनकमलअभिराम॥ पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज। जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥ जय यदुनंदन जय जगवंदन। जय वसुदेव देवकी नन्दन॥ जय यशुदा सुत नन्द दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥ जय नट-नागर, नाग नथइया कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥
।।श्री गंगा चालीसा।। ।। स्तुति ।। मात शैल्सुतास पत्नी ससुधाश्रंगार धरावली । स्वर्गारोहण जैजयंती भक्तीं भागीरथी प्रार्थये ।। ।। दोहा ।। जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग । जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग ।। ।। चौपाई ।। जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी ।। जय भगीरथी सुरसरि माता।
।।श्री चित्रगुप्त चालीसा।। ।।दोहा।। सुमिर चित्रगुप्त ईश को, सतत नवाऊ शीश। ब्रह्मा विष्णु महेश सह, रिनिहा भए जगदीश ।। करो कृपा करिवर वदन, जो सरशुती सहाय। चित्रगुप्त जस विमलयश, वंदन गुरूपद लाय ।। ।। चौपाई ।। जय चित्रगुप्त ज्ञान रत्नाकर । जय यमेश दिगंत उजागर ।। अज सहाय अवतरेउ गुसांई । कीन्हेउ काज ब्रम्ह कीनाई
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श्री भैरव चालीसा ॥ दोहा ॥ श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ । चालीसा वन्दन करों, श्री शिव भैरवनाथ ॥ श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल । श्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ॥ ॥चौपाई ॥ जय जय श्री काली के लाला । जयति जयति काशी-कुतवाला ॥ जयति बटुक भैरव