जानिए क्यों खास है अश्विन अमावस्या।
अश्विन महीने की अमावस्या तिथि सारे अमावस्याओं में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। यह अमावस्या सर्वपितृ दर्श अमावस्या एवं महालय अमावस्या के नाम से भी प्रचलित है।
योगी, साधक, तपस्वी, गृहस्त व्यक्ति इस विशेष अमावस्या की तिथि पर साधना कर के ईश्वर की परम कृपा को प्राप्त कर सकते है। यह तिथि मोक्ष दायिनी है इसलिए इसे मोक्षदायिनी अमावस्या भी कही जाता है। अश्विन मास के कृष्णपक्ष की अंतिम तिथि जब पितृ श्राद्ध का समापन होकर शुक्लपक्ष प्रतिपदा देविपक्ष का शुभारंभ होगा।
शिव पूजन एवं भक्ति के लिए यह एक सर्वोत्तम तिथि है।
अमावस्या तिथि में तप, साधना एवं मन्त्रों को सिद्ध किया जा सकता है
सर्व पितृ अमावस्या। महालय अमावस्या।
🌺अमावस्या🌺
अश्विन अमावस्या को दर्श अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या एवं महालय अमावस्या भी कहा जायेगा।
सर्वपितृ अमावस्या क्या है?
पञ्चाङ्ग शास्त्र अनुसार अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष की पंद्रह तिथियों को पितृपक्ष श्राद्ध के लिए चिन्हित किया गया है। इन तिथियों में शास्त्र अनुसार सभी प्रकार के श्राद्ध कार्य प्रशस्त है।
पूर्वजों की आत्मा के शांति हेतु तथा उनके मोक्ष हेतु वंसज के परिवारगन विधि सम्मत श्राद्ध कार्य सम्पन्न करते हैं।
शास्त्र अनुसार पितृदोष का खंडन, कुंडली में कई प्रकार के दोषों एवं योगों का खंडन करती है यह अमावस्या।
🌺 पञ्च देवता को स्मरण करें।
‘श्री गणेशाय नमः। श्री विष्णु नमः। श्री शिवाय नमः। श्री आदित्य नमः। श्री गौरी नमः’।
🌼शिवलिंग पर जल निवेदन करते समय मंत्रों को बुद्धि से स्मरण करें अथवा उच्चारण करें।
ॐ नमः शिवाय। ॐ श्री गौरैय नमः। ॐ श्री अष्टमूर्तिभ्यो: नमः। ॐ श्री अष्टमात्रकभयों: नमः। ॐ श्री गणेभ्यो: नमः। ॐ श्री वृषभाय: नमः।
(ॐ का उच्चरण शास्त्र सम्मत विधि से करें। निषेध का पालन सर्वथा उचित है फल लाभ के लिए। ॐ के स्थान पर नमः का पाठ करें। यह शास्त्र सम्मत है।)
महादेव को दूर्वा अर्पण करें एवं अपनी मनोकामना को उनको निवेदन करें।
श्रीनंदी देव वृषभ की पूजा करें।
(तांत्रिक गायत्री मंत्र के लिए क्लिक करें)
आयु आरोग्य यश के लिए माता काली की पूजा करें। माता से धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्रार्थना करें। संतान के लिए आयु एवं आरोग्य का वरदान मांगे।
🌺अमावस्या मुहूर्त🌺
प्रारम्भ:मंगलवार 07:05 pm, 05.10.2021
सम्पूर्ण:बुधवार, 04:16 pm, 06.10.2021
(*स्थानीय जगह पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त अनुसार तिथि के लिए स्थानीय पञ्चाङ्ग अथवा स्थानीय पुरोहित की सहायता लें।)
अमावस्या पालन किस दिन करना है
🌼शास्त्र अनुसार सदा उदित तिथि के दिन व्रत का पालन किया जाता है, इसलिए अमावस्या का पालन दिनांक 06.10.2021 को होगा।
परन्तु भक्त एवं श्रद्धालु को अमावस्या तिथि के प्रारंभ समय से ही संयम एवं उचित आचार, व्यवहार तथा नियम का पालन करना चाहिए। दिनांक 07.10.2021 सूर्योदय तक नियम का पालन करना है।
अमावस्या के महत्व
- अमावस्या की तिथि पिंडदान, पितृ तर्पण के लिए श्रेष्ठ है। अश्विन पितृपक्ष की अमावश्या सभी अमावस्याओं में विशेष है।
- श्री महादेव का पूजन, भजन करें। अमावस्या तिथि रहते शिवलिंग पर बेलपत्र, तिल, गंगा जल चढ़ाएं।
- यह तिथि में गुरु मंत्र, इष्ट मन्त्र का जप करने पर अधिक फलदायी सिद्ध हो सकता है ऐसा मानना चाहिए।
- श्री गणपति मन्त्र, श्री लक्ष्मी के मन्त्र, श्री हनुमान चालीसा, श्री बजरंगबाण, श्री शिवस्तुति, ऋण मोचन मंत्रों का पाठ करने से लाभ होगा यह मानना चाहिए।
- घर के द्वार पर दीप जलाएं। मंदिर में दीपदान करें।
- अमावस्या की तिथि में मंत्रों का जप करने से फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है ऐसा मानना चाहिए। (मंत्र सिद्धि हेतु जानने के लिए क्लिक करें।)
विशेष: हम मानते हैं कि, सरकार द्वारा जारी किए हुए कोविड संक्रमण दमन हेतु नियम व शासन मर्यादा का पालन करते हुए धर्म कार्य में भाग लेना श्रेय है।
अतः अपने-अपने घर में ही सुरक्षित होकर के व्रत, पूजा पालन करना श्रेयष्कर है ऐसा मानना चाहिए।
अमावस्या तिथि में पूजा विधि
- ब्रह्मुहूर्त में सय्या त्याग कर नित्य कार्य तथा स्नान आदि से निवृत होकर के शुद्ध वस्त्र धारण करना है।
- सूर्योदय होने पर गृह मंदिर के कपाट को खोले।
- भगवान के लिए पंच उपचार पूजा का आयोजन करें। गंगाजल, सुगंध, सफेद पुष्प, तुलसी पत्र, धूप, घी के दीप, मिष्ठान्न, पानीय जल का आयोजन करें।
- गंगा जल से भगवान का अभिषेक करें।
- सुगंध, तुलसी पत्र, सफेद पुष्प, धूप, दिप, मिष्ठान्न, पानीय जल निवेदन करें।
- सभी मिष्ठान्न तथा भोग पर तुलसी पत्र डालें।
- इष्ट देव अथवा देवी, शिव पार्वती एवं लक्ष्मीनारायण की पूजा करें।
- भगवान की आरती करें, “हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे” यह महा मन्त्र का जप भी 108 बार करें।
- जिन्हें गुरु मंत्र प्राप्त है वे गुरु मंत्र पर जप करें।
- प्रतिष्ठित शिवलिंग पर जल, गंगाजल, कृष्णतिल, पञ्च बीज अथवा अनाज, पुष्प निवेदन करें। दिया प्रज्वलित करें एवं आरती करें।