Rama ekadashi November 2021: स्वामी एवं स्त्री में अटूट बंधन के लिए पालन करें रमा एकादशी।

श्रीगणेशाय नमः। श्रीलक्ष्मी नमः। श्री गायत्री नमः। श्री तारा नमः। श्रीगुरुवे नमः। हरे कृष्ण हरे राम।

रमा एकादशी

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष पर दीपावली से पहले पड़ने वाली एकादशी तिथि रमा एकादशी के नाम से जानी जाती है। दीपावली से पहले पड़ने वाली यह एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ रमा स्वयं श्रीलक्ष्मी हैं।

भगवान विष्णु एवं दैत्यराज बलि

कार्तिक मास में भगवान विष्णु दीपावली पर दैत्यराज बलि के पाताल पूरी भवन से बाहर आएंगे। उनकी योगनिद्रा सम्पूर्ण होगी। माता लक्ष्मी अपने स्वामी श्रीविष्णु को वैकुण्ठ ले जाएंगे दैत्यराज बलि से छुड़ाकर। भगवान ने बलि का द्वारपाल बनना स्वीकार किया था जिससे भगवान प्रतिज्ञा पाश में बंध गए। उस समय पर श्रीलक्ष्मी ने दैत्यराज बलि को वरदान स्वरूप अपना भाई माना तथा उनसे निवेदन किया कि अपने बहन के स्वामी को वह अपने घर लौट जाने दें। इस तरह श्रीलक्ष्मी स्वयं यह एकादशी का पालन करती हैं।

रमा एकादशी पर श्रीलक्ष्मी की विशेष कृपा

यह एकादशी तिथि पर माता लक्ष्मी की कृपा सदैव है। यहाँ रमा अर्थात श्रीलक्ष्मी स्वयं हैं। रमा एकादशी का पालन करने से स्त्री एवं उनके परिवार पर सदा श्रीविष्णु लक्ष्मी का वरदान प्राप्त होता है ऐसा मानना चाहिए। यह एकादशी पालन करने से गृहस्त संसार में स्वामी एवं स्त्री से जुड़े सुख दायक फल प्राप्त होते है, ऐसा मानना चाहिए।

रमा एकादशी के मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ 

31 अक्टूबर 2021, 

रविवार, 02:18 pm

एकादशी व्रत पालन

01 अक्टूबर 2021, 

सोमवार, सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक।

विशेष: व्रत के दिन एवं रात में अन्न अनाज भोजन त्याग करें। सामर्थ्य अनुसार निर्जल, केवल जल, अथवा फल, गौ दुग्ध, मिष्ठान्न का आहार करें।

(औषध का सेवन किया जा सकता है।)

एकादशी तिथि समाप्त

01 नवंबर 2021, 

सोमवार, 1:22 pm 

व्रत का पारण

02 नवंबर 2021, 

मंगलवार, द्वादशी तिथि,

सूर्योदय समय से 08:30 am तक।

(मानक समय मुंबई अनुसार। सूक्ष्म समय के लिए स्थानीय पञ्चाङ्ग का सहारा लें।)

विशेष: 

  • भगवान विष्णु की पूजा करें। माता लक्ष्मी की पूजा करें।
  • भगवान को दूध की खीर, अन्न भोग, फल, मिष्ठान्न का भोग निवेदन करें।
  • भगवान के प्रसाद का सेवन कर व्रत को पूर्ण करें।  (अनाज भोजन का सेवन करें।)

सर्वसाधारण विधि

  • ब्रह्मुहूर्त में सय्या त्याग कर नित्य कार्य तथा स्नान आदि से निवृत होकर के शुद्ध वस्त्र धारण करना है।
  • सूर्योदय होने पर गृह मंदिर के कपाट को खोले।
  • भगवान के लिए पंच उपचार पूजा का आयोजन करें। गंगाजल, सुगंध, सफेद पुष्प, तुलसी पत्र, धूप, घी के दीप, मिष्ठान्न, पानीय जल का आयोजन करें।
  • गंगा जल से भगवान का अभिषेक करें।
  • सुगंध, तुलसी पत्र, सफेद पुष्प, धूप, दिप, मिष्ठान्न, पानीय जल निवेदन करें।
  • सभी मिष्ठान्न तथा भोग पर तुलसी पत्र डालें।
  • माता लक्ष्मी की पूजा करें।
  • भगवान की आरती करें, हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। यह महा मन्त्र का जप भी 108 बार करें।

विशेष:

  • तुलसी पत्र का होना अनिवार्य है।
  • श्रीलक्ष्मी को तुलसी पत्र निवेदन न करें।
  • श्रीविष्णु नाम, श्रीकृष्ण नाम का पाठ करें।
  • हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ” महामंत्र का 108 बार पाठ करें।
  • भगवान का कीर्तन गान करें।
  • एकादशी में चावल, गेहू इत्यादि अनाज भोजन वर्ज्य है।
  • प्याज़, लहसुन, मांस, मदिरा इत्यादि सेवन वर्जित है।
  • अन्य  तामसिक भोजन का आहार वर्जित है।
  • सटीक समय हेतु स्थानीय पञ्चाङ्ग अथवा स्थानीय मंदिर के पुरोहित से सम्पर्क करें। 

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