संकट के समय बजरंग बाण का नित्य पाठ बढ़ाएं आत्मविश्वास तथा प्रचंड मानसिक शक्ति। Bajrang Baan Chanting

संकट के समय बजरंग बाण का नित्य पाठ आत्मविश्वास तथा प्रचंड मानसिक शक्ति को बढ़ाएं।

जीवन में जब संघर्ष बढ़ जाये एवं हर कार्य में बाधा पड़ने लगे, परिस्थिति हर दिन कठिन से कठिन चुनौती देने लगें तब मनुष्य की स्थिर बुद्धि एवं शुद्ध ज्ञान ही धरोहर है जिसे पूंजी की तरह उपयोग कर के पुनः सब प्राप्त किया जा सकता है। परन्तु प्रश्न यह उठता है कि बुद्धि को स्थिर कैसे रखें? मन को शांत कैसे रखें? ज्ञान का सदुपयोग किस प्रकार किया जाए कि जिससे सभी बाधा विपत्तियों से डटकर सामना किया जा सके एवं सभी बाधाओं पर विजय प्राप्त कि जा सके।

बजरंग बाण का नित्य पाठ, बढ़ाएं आत्मविश्वास तथा प्रचंड मानसिक शक्ति

ऐसी परिस्थिति एवं संकट की घड़ी में हमे तुरंत श्रीराम सेवक श्रीबजरंगबली की शरण में होना चाहिए। श्री मंगलमूर्ति हनुमानजी स्वयं संकट का नाश करके संकटमोचक हैं। उन्होंने श्रीराम एवं श्रीलक्ष्मण को संकटमय परिस्थिति से पार लगाया था। इस तरह से उन्हें प्रभु श्रीराम की कृपा वरदान प्राप्त है। विश्व ब्रह्मांड में कोई भी संकट उनके सामने एक तुच्छ धूल के कण से कुछ अधिक नहीं। श्रीबजरंगबली पवनपुत्र हैं, वे मन के वेग से भी कई गुना तेज़ विचरण करते हैं। जहाँ प्रभु श्रीराम का नाम गान हैं वहीं पर श्रीहनुमान निवास करते हैं।

श्रीहनुमान को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है प्रभु श्रीराम का नाम गान करना। प्रतिदिन श्रद्धा एवं भक्ति सहित श्रीराम परिवार तथा श्रीहनुमान के चित्र की स्थापना कर के राम नाम का कीर्तन करना उत्तम है।

प्रातः काल नित्यकर्म आदि से निवृत्त होकर शुद्ध आसान में बैठकर घी अथवा सरसों तेल का दिया प्रज्वलित करें। धूप, सुगंध, पुष्प माला, पञ्चप्रदीप, केला, लाल पुष्प, रक्त चंदन अथवा स्वेत चंदन से पूजा करें। राम नाम का जप करने के पश्चात श्रीबजरंग बाण का पाठ करें। बजरंगबाण का पाठ सामर्थ्य अनुसार एक, तीन, पांच, सात, नौ, अथवा ग्यारह बार करें। शाश्त्र अनुसार हर मन्त्र १०८ बार करने पर विशेष फलदायी होता है। सामर्थ्य अनुसार मंगलवार एवं शनिवार के दिन यह पाठ करना सर्वोत्तम है।

मंगलवार एवं शनिवार के दिन यह विशेष रूप से करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा ऐसा मानना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र अनुसार श्रीमंगलग्रह प्रातः बलवान होता है तथा श्रीशनि ग्रह संध्या से बलवान होता है। इसलिए मंगलवार के दिन प्रातः काल एवं शनिवार के दिन संध्या काल में श्रीबजरंगबाण का पाठ प्रशस्त है ऐसा मानना चाहिए।

पूजा एवं पाठ सम्पूर्ण होने पर श्रीहनुमानजी से अपने जाने अनजाने भूल, त्रुटि, दोष इत्यादि के लिए क्षमा दान की याचना करें तथा कष्टों का निवारण हेतु परम् श्रद्धा से प्रार्थना को निवेदन करें।

पूजा का समापन ‘हरे कृष्ण हरे राम’ महामंत्र के कीर्तन से करें। 

जय श्री राम। अंजनीपुत्र श्री हनुमान की जय।

यहाँ से पढ़े:
बजरंग बाण
हनुमान चालीसा
हनुमान अष्टक

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

close
Scroll to Top