।ॐ गं गणपतये नमः। श्री गुरुवे नमः। हरे कृष्ण हरे राम।
श्री गणेश चतुर्थी तथा श्री गणपति उत्सव क्या है?
श्री गणेश चतुर्थी उत्सव में प्रथम पूज्य श्री गणेश की पूजा एवं आराधना की जाती है। सर्व भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार चतुर्थी तिथि, विघ्नहर्ता श्री विनायक गणेश को समर्पित है। हर माह के दो पक्षों में दो चतुर्थी तिथियाँ पड़ती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में विनायक चतुर्थी का पालन होता है एवं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर संकष्ट चतुर्थी का पालन होता है।
इस तरह प्रति वर्ष पञ्चाङ्ग अनुसार भाद्र मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि पर प्रथम पूज्य श्री गणेश की पूजा आराधना की जाती है। प्रति वर्ष भाद्र मास की यह शुक्ल चतुर्थी पर विनायक चतुर्थी का पालन दस दिन तक किया जाता है। वर्तमान समय में यह उत्सव सर्वभारतीय स्तर तथा अन्तराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने लगा है। प्रधानतः यह उत्सव महाराष्ट्र राज्य में बड़े ही धूम धाम से दस दिनों तक मनाया जाता है। यह महाउत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन समापन होता है।
गणेश चतुर्थी दस दिन का उत्सव कब मनाया जाता है?
सर्व भारतीय पञ्चाङ्ग अनुसार प्रति वर्ष भाद्र मास, शुक्ल पक्ष, चतुर्थी तिथि होने पर श्रीगणेश चतुर्थी उत्सव का उत्सव दस दिनों तक अर्थात चतुर्थी से आरंभ होकर अनंत चतुर्दशी को सम्पूर्ण होता है।
अन्य सभी महीनों में हर माह की श्रीविनायक चतुर्थी एवं संकष्ट चतुर्थी का नियमित पालन किया जाता है।
सार्वजनिक श्री गणेश पूजा महोत्सव भारत के कौनसे राज्य में धूम धाम से मनाया जाता है?
श्रीगणपति महोत्सव महाराष्ट्र राज्य में सार्वजनिक स्तर पर धूम धाम से मनाया जाता है।
प्रति वर्ष भाद्र मास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक दस दिन का उत्सव होता है।
क्या आप जानते हैं भारतवर्ष में सार्वजनिक गणपति पूजा किसने और कब शुरू किया था?
आधुनिक काल में स्वराज का गठन करने हेतु एवं सभी भारतीय नागरिकों में स्वराज जागृति हेतु लोकनायक श्री बाल गंगाधर तिलक ने 1893 को मुम्बई सार्वजनिक गणेश उत्सव मण्डल की स्थापना की।
2021 साल में श्रीगणपति चतुर्थी एवं उत्सव कब है?
श्रीगणेश चतुर्थी 10 september 2021,सर्व भारतीय पञ्चाङ्ग अनुसार भाद्र मास, शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि शुक्रवार के दिन है।
श्री गणेश चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त। पञ्चाङ्ग अनुसार तिथि एवं नक्षत्र निर्देश:
चतुर्थी तिथि:
दिनांक: 10 सेप्टेम्बर 2021 (09 सेप्टेम्बर 2021 की- मध्य रात्रि। दिनांक बदलकर 10 सेप्टेम्बर 2021)
चतुर्थी प्रारम्भ समय: 12:20 am
श्रीगणेश चतुर्थी व्रत समय
10 अगस्त 2021, शुक्रवार,
सूर्योदय समय से लेकर 09:51 pm तक।
चतुर्थी तिथि सम्पूर्ण (तिथि की समाप्ति)
दिनांक: 10 सेप्टेम्बर 2021
समय: 09:51 pm
(यह वर्ष भाद्र शुक्ल चतुर्थी क्षय तिथि है)
चन्द्र राशि एवं नक्षत्र भ्रमण
कन्या राशि – चित्रा नक्षत्र
तुला राशि – चित्रा नक्षत्र
तुला राशि – स्वाति नक्षत्र – आरंभ 12:58 pm
शुभ मुहूर्त समय:
10.09.2021, शुक्रवार
- 06:28 am -11:02 am
- 12:35 pm – 02:06 pm
- 05:10 pm – 06:45 pm
- 09:38 pm – 11:07 pm
जानिए गणपति को क्या प्रिय है?
श्री गणपति को जास्वन्ति फूल, दूर्वादल अति प्रिय है।
उन्हें मोदक, दूध की खीर, लड्डू, मिष्ठान्न, नारियल, केला अनेक प्रिय है।
सर्वसाधारण विधि
10 सितम्बर 2021, शुक्रवार
- ब्रह्मुहूर्त में सय्या त्याग कर नित्य कार्य तथा स्नान आदि से निवृत होकर के शुद्ध वस्त्र धारण करना है।
- सूर्योदय होने पर गृह मंदिर के कपाट को खोले।
- पार्थिव गणेश अथवा श्री गणेश के चित्र को स्थापित करें।
- भगवान के लिए पंच उपचार अथवा सामर्थ्य अनुसार पूजा का आयोजन करें। गंगाजल, सुगंध, पुष्प, दूर्वा, धूप, घी के दीप, पंचामृत, नारियल, पांच देसी केला, मोदक,मिष्ठान्न, पानीय जल का आयोजन करें।
- गंगा जल से भगवान का अभिषेक करें।
- सुगंध, चंदन, पुष्प, दूर्वा, धूप, दिप, कर्पूर, मोदक, मिष्ठान्न, पंचामृत,नारियल, पानीय जल निवेदन करें।
- सभी मिष्ठान्न तथा भोग पर सुगंध पुष्प डालें।
- नमः गं गणपतये नमः। नमः रिद्धि सिद्धि नमः। नमः मूषक नमः मंत्र उच्चरण करें तथा पूजा करें।
- भगवान की आरती करें, जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महा देवा।
- हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। यह महा मन्त्र का जप भी 108 बार करें।
- श्री गणेश को अपनी प्रार्थना कहें।
- शांति जल को गृह में एवं परिवार के सदस्यों पर छिड़कें।
11 सितम्बर 2021, शनिवार व्रत का समापन करें।
- श्रीगणपति सहित पञ्चदेव की पूजा करें।
- गणपति के लिए पंच उपचार अथवा सोड़स उपचार पूजा अथवा सामर्थ्य अनुसार पूजा का आयोजन करें। गंगाजल, सुगंध, सफेद पुष्प, धूप, घी के दीप,पंचामृत, मोदक,मिष्ठान्न, नारियल, पानीय जल का आयोजन करें।
- गंगा जल से भगवान का अभिषेक करें।
- सुगंध, पुष्प, धूप, दिप, मिष्ठान्न, मक्खन, मिश्री, पानीय जल निवेदन करें।
- सभी मिष्ठान्न तथा भोग पर पुष्प डालें।
- श्री गणेश, रिद्धि सिद्धि, मूषक को निष्ठा एवं चरम भक्ति से मोदक, खीर, मिष्ठान्न निवेदन करें।
- श्री गौरीशंकर को स्मरण कर उन्हें गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवैद्य निवेदन करें।
- श्री अनंत को स्मरण करें एवं सामर्थ्य अनुसार उनकी पूजा करें।
- भगवान की आरती करें, जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती पिता महादेव।
👉 गणेश आरती
- “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे”
यह महा मन्त्र का जप भी 108 बार करें।
- श्री गणेश को अपनी प्रार्थना कहें।
- शांति जल को गृह में एवं परोवर सदस्यों पर छिड़कें।
- विसर्जन की विधि सम्पूर्ण करें।
विशेष:
- दूर्वादल, लाल जास्वन्ति फूल का होना अनिवार्य है।
- श्रीगणपति की पूजा में तुलसी पत्र निषेध है।
- श्री गौरीशंकर को स्मरण करें।
- नमः गं गणपतये नमः मन्त्र का 108 बार अथवा सामर्थ्य अनुसार जप करें।
- “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे” महामंत्र का 108 बार पाठ करें।
- भगवान का कीर्तन गान करें।
- उपवास करने पर दूध, फल का सेवन करें।
- अगले दिन प्रातः काल में व्रत का पारण करते समय श्रीगणेश की पूजा करें। उन्हें, मोदक, खीर, लड्डू का भोग निवेदन करें।
- प्रसाद का सेवन करें एवं व्रत सम्पूर्ण करें।
- सुख, शांति, संतान प्राप्ति, संतान सुख, धर्म अर्थ काम मोक्ष के लिए भगवान से प्रार्थना करें।
- तामसिक भोजन का आहार वर्जित है।
- निवासिय स्थान के सूर्योदय समय अनुसार सटीक मुहूर्त हेतु स्थानीय पञ्चाङ्ग अथवा स्थानीय मंदिर के पुरोहित से सम्पर्क करें।
विनती: सरकार द्वारा दिये हुए कोरोना रोग प्रतिरोधक नियमों का पालन करें। स्वस्थ रहें, सदा सुरक्षित रहें।
हरे कृष्ण हरे राम