इस बार भाद्र महीने की अमावस्या 2021 तिथि बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि बन रहें हैं खास योग। यह दर्श अमावस्या की तिथि सोमवार को पढ़ने पर सोमवती अमावस्या कहलायेगी। शिव पूजन एवं भक्ति के लिए यह एक सर्वोत्तम तिथि है।अमावस्या तिथि में तप, साधना एवं मन्त्रों को सिद्ध किया जा सकता है (मंत्र सिद्धि हेतु जानने के लिए लिंक में क्लिक करें)।
दर्श अमावस्या। सोमवती अमावस्या। पिठौरी अमावस्या।
🌺अमावस्या🌺
यह अमावस्या को दर्श अमावस्या, पिठौरी अमावस्या एवं कुशग्रहनी अमावस्या भी कहा जायेगा।
कुशग्रहनी अमावस्या क्या है?
यह अमावस्या तिथि में पवित्र कुश को संचय किया जायेगा जो हर पूजा, साधना, तर्पण आदि के लिए महत्वपूर्ण है।
दरिद्र योग खंडन, कालसर्प दोष खंडन, पितृदोष का खंडन, व्यवसाय में नुकसान योगों का खंडन करती है यह अमावस्या में शिवलींग की पूजा।
शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए ॐ नमः शिवाय का मंत्र उच्चारण करें। महादेव को दूर्वा अर्पण करें एवं अपनी मनोकामना को उनको निवेदन करें। श्रीनंदी देव वृषभ की पूजा करें। तांत्रिक गायत्री मंत्र का पाठ करे।
पिठौरी अमावस्या
आयु आरोग्य यश के लिए माता काली की पूजा करें। माता से धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्रार्थना करें। संतान के लिए आयु एवं आरोग्य का वरदान मांगे।
🌺अमावस्या मुहूर्त🌺
प्रारम्भ:सोमवार, 07:39 am, 06.09.2021
सम्पूर्ण:मंगलवार,06:23 am, 07.09.2021
(*स्थानीय जगह पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त अनुसार तिथि के लिए स्थानीय पञ्चाङ्ग अथवा स्थानीय पुरोहित की सहायता लें।)
अमावस्या के महत्व
- अमावस्या की तिथि पिंडदान, पितृ तर्पण के लिए श्रेष्ठ है।
- श्री महादेव का पूजन, भजन करें। अमावस्या तिथि रहते शिवलिंग पर पञ्च बीज, गंगा जल चढ़ाएं।
- यह तिथि में गुरु मंत्र, इष्ट मन्त्र का जप करने पर अधिक फलदायी सिद्ध हो सकती है ऐसा मानना चाहिए।
- श्री गणपति मन्त्र, श्री लक्ष्मी के मन्त्र, श्री हनुमान चालीसा, श्री बजरंगबाण, श्री शिवस्तुति, ऋण मोचन मंत्रों का पाठ करने से लाभ होगा यह मानना चाहिए।
- घर के द्वार पर दीप जलाएं। मंदिर में दीपदान करें।
- अमावस्या की तिथि में मंत्रों का जप करने से फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है ऐसा मानना चाहिए। (मंत्र सिद्धि हेतु जानने के लिए क्लिक करें।)
विशेष: हम मानते हैं कि, सरकार द्वारा जारी किए हुए कोविड संक्रमण दमन हेतु नियम व शासन मर्यादा का पालन करते हुए धर्म कार्य में भाग लेना श्रेय है।
अतः अपने-अपने घर में ही सुरक्षित होकर के व्रत, पूजा पालन करना श्रेयष्कर है ऐसा मानना चाहिए।
अमावस्या तिथि में पूजा विधि
- ब्रह्मुहूर्त में सय्या त्याग कर नित्य कार्य तथा स्नान आदि से निवृत होकर के शुद्ध वस्त्र धारण करना है।
- सूर्योदय होने पर गृह मंदिर के कपाट को खोले।
- भगवान के लिए पंच उपचार पूजा का आयोजन करें। गंगाजल, सुगंध, सफेद पुष्प, तुलसी पत्र, धूप, घी के दीप, मिष्ठान्न, पानीय जल का आयोजन करें।
- गंगा जल से भगवान का अभिषेक करें।
- सुगंध, तुलसी पत्र, सफेद पुष्प, धूप, दिप, मिष्ठान्न, पानीय जल निवेदन करें।
- सभी मिष्ठान्न तथा भोग पर तुलसी पत्र डालें।
- इष्ट देव अथवा देवी, शिव पार्वती एवं लक्ष्मीनारायण की पूजा करें।
- भगवान की आरती करें, हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। यह महा मन्त्र का जप भी 108 बार करें।
- जिन्हें गुरु मंत्र प्राप्त है वे गुरु मंत्र पर जप करें।
- प्रतिस्ठित शिवलिंग पर जल, गंगाजल, कृष्णतिल, पञ्च बीज अथवा अनाज, पुष्प निवेदन करें। दिया प्रज्वलित करें एवं आरती करें।
FAQ
Q. सोमवती अमावस्या किसे कहते हैं?
सोमवार को पढ़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है।
Q. September 2021 भाद्र मास में कब अमावस्या है?
पञ्चाङ्ग अनुसार अमावस्या तिथि सोमवार, 06 September 2021,07:39 am से प्रारंभ है एवं 07 September 2021, 06:23 am को समाप्ति है।
Q. यह साल 2021 में भाद्र महीने का दर्श अमावस्या कब है?
दर्श अमावस्या 06 september 2021 को है।
Q. पिठौरी अमावस्या कब है?
पिठौरी अमावस्या 06 september 2021 में है।