हरियाली अमावस्या 2021
श्रावण महीने में होनेवाली दर्श अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है। यह अमावस्या को दक्षिण प्रान्त में आदि अमावस्या भी कहा जाता है एवं ओड़ीसा में चितलागि अमावस्या कहा जाता है।
वर्षा ऋतु से भूमि वसुंधरा पर हरापन छा जाता है, घास,पेड़, पौधों से हर तरफ हरियाली नज़र आने लगती है। यह तिथि में वृक्षरोपण, पौधा आदि लगाने की परंपरा है। प्राचीन काल से ही भारतीय आयुर्वेद शास्त्र के माध्यम में पेड़, पौधों का महत्व हमे ज्ञात होता है जिसे आधुनिक विज्ञान ने आज समझकर अविष्कार किया। यह दिन में आयु आरोग्य प्रदान करने वाली तुलसी अथवा बरगद, पीपुल, बेल, नीम, केला इत्यादि वृक्षों का रोपण करना पर्यावरण के लिए श्रेष्ठ है।
श्रावण का महीना हिंदुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह महीने में परमेश्वर देवादिदेव महादेव की आराधना के लिए श्रेष्ठ माना गया है। अतः आदिदेव की आराधना करना और अधिक आवश्यक हो जाता है।
यह अमावस्या की तिथि 7 अगस्त की शाम को प्रारम्भ होकर 8 अगस्त की शाम तक है।
अमावस्या तिथि
प्रारम्भ : 7 अगस्त 2021- 07:13 pm
पूर्ण: 8 अगस्त 2021- 07:21 pm
(*स्थानीय जगह पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त अनुसार तिथि के लिए स्थानीय पञ्चाङ्ग अथवा स्थानीय पुरोहित की सहायता लें।)
- अमावस्या की तिथि पिंडदान, पितृ तर्पण के लिए श्रेष्ठ है।
- यह तिथि में गुरु मंत्र, इष्ट मन्त्र का जप करने पर अधिक फलदायी सिद्ध हो सकती है ऐसा मानना चाहिए।
- श्रावण महीने की यह अमावस्या तिथि में वृक्षारोपन करने के लिए उत्तम है। आयु आरोग्य वर्धक रोग नाश करने वाले वृक्ष अथवा पौधा का रोपण करना श्रेयष्कर है।
- तुलसी, बरगद, आम, केला, बेल इत्यादि का रोपण करना चाहिए।
- श्री गणपति मन्त्र, श्री लक्ष्मी के मन्त्र, श्री हनुमान चालीसा, श्री बजरंगबाण, श्री शिवस्तुति, ऋण मोचन मंत्रों का पाठ करने से लाभ होगा यह मानना चाहिए।
- घर के द्वार में दीप जलाएं। मंदिर में दीपदान करें।
- अमावस्या की तिथि में मंत्रों का जप करने से फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है ऐसा मानना चाहिए।
विशेष: हम मानते हैं कि, सरकार द्वारा जारी किए हुए कोविड संक्रमण दमन हेतु नियम व शासन मर्यादा का पालन करते हुए धर्म कार्य में भाग लेना श्रेय है।
अतः अपने-अपने घर में ही सुरक्षित होकर के व्रत, पूजा पालन करना श्रेयष्कर है ऐसा मानना चाहिए।