।।मंगल मंत्र।।
।।वैदिक मन्त्र।।
ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्
अपां रेतां सि जिन्वति।।
।।पौराणिक मन्त्र।।
धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम।।
।।बीज मंत्र।।
ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नमः
।।सामान्य मन्त्र।।
ॐ अं अंगरकाय नमः
।।मंगलगायत्री।।
ॐ क्षिति पुत्राय विदमहे लोहितांगाय धीमहि-तन्नो भौम: प्रचोदयात”
।। पूजा मन्त्र।।
ॐ हूँ श्रीँ मंगलाय नमः
।।सरल मन्त्र।।
श्री भौमाय नमः
श्री मंगलदेव नमः
जप संख्या -10000
जप समय – प्रातः काल
।।मंगल स्तुति।।
जय जय जय मंगल सुखदाता।
लोहित भौमादित विख्याता।।
अंगारक कुज रूज ऋणहारी।
दया करहु यहि विनय हमारी।।
हे महिसुत दितीसुत सुखरासी।
लोहितांग जग जन अघनासी।।
अगम अमंगल मम हर लीजै।
सकल मनोरथ पूरण कीजै।।