गुरु ध्यान मंत्र
प्रातः शिरसि शुक्लब्जे द्विनेत्रं द्विभुजम गुरुम्।
प्रस्सनं बदनं शान्तं स्मरेत तन्नाम पूर्वबकम् ।।
गुरु प्रणाम मंत्र
ॐ अखण्डमंडलाकारं व्यापतं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
अज्ञान तिमिरांधस्य ज्ञानंजनं शलकया।
चक्षु रुंमिलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः।।
गुरुब्रह्म गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परम ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।
स्त्रीगुरु प्रणाम मंत्र
ॐ ब्रह्मा-विष्णुशिवित्यदी जीवन्मुक्तिप्रदायिनी।
ज्ञानविज्ञानदात्री च तस्मै श्री गुरुवे नमः।।