श्री वैष्णों देवी आरती || Shri Vaishno Devi Arti

।। श्री वैष्णों देवी आरती ।।

 

हे मात मेरी, हे मात मेर,

कैसी यह देर लगाई है दुर्गे । हे

भवसागर में गिरा पड़ा हूँ,

काम आदि गृह में घिरा पड़ा हूँ ।

मोह आदि जाल में जकड़ा पड़ा हूँ ।

न मुझ में बल है न मुझ में विद्या,

न मुझ में भक्ति न मुझमें शक्ति ।

शरण तुम्हारी गिरा पड़ा हूँ । हे

न कोई मेरा कुटुम्ब साथी,

ना ही मेरा शारीर साथी ।

आप ही उबारो पकड़ के बाहीं । हे

 

 

चरण कमल की नौका बनाकर,

मैं पार हुंगा ख़ुशी मनाकर ।

यमदूतों को मार भगाकर । हे

सदा ही तेरे गुणों को गाऊँ,

सदा ही तेरे स्वरूप को ध्याऊँ ।

नित प्रति तेरे गुणों को गाऊँ । हे

न मैं किसी का न कोई मेरा,

छाया है चारों तरफ अन्धेरा ।

पकड़ के ज्योति दिखा दो रास्ता । हे

शरण पड़े है हम तुम्हारी,

करो यह नैया पार हमारी ।

कैसी यह देर लगाई है दुर्गे । 

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